Tuesday, January 22, 2013

विश्‍वस्‍तरीय सुविधाओं के निर्माण में सार्वजनिक क्षेत्र

22-जनवरी-2013 13:37 IST
नया कोलकाता हवाईअड्डा ट्रर्मिनल बना नया उदाहरण-राष्‍ट्रपति
                                                                                                                                 Courtesy Photo
राष्‍ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने कोलकाता स्थित नेताजी सुभाष चन्‍द्र बोस अंतर्राष्‍ट्रीय हवाई अड्डे पर नये एकीकृत यात्री ट्रर्मिनल भवन का उद्घाटन किया और साथ ही उन्‍होंने नेताजी सुभाष चन्‍द्र बोस की मूर्ति का अनावरण भी किया। इस अवसर पर बोलते हुए राष्‍ट्रपति महोदय ने कहा कि नया कोलकाता हवाईअड्डा ट्रर्मिनल उस बात का उदाहरण है कि कैसे सार्वजनिक क्षेत्र भी विश्‍वस्‍तरीय सुविधाओं का निर्माण कर सकते हैं। 

उन्‍होंने कहा कि कोलकाता पूर्व का प्रवेश द्वार है। विशेषकर अंतर्राष्‍ट्रीय व्‍यापार में पश्चिम से पूर्व की ओर दिशात्‍मक बदलाव को देखते हुए यह एयरपोर्ट भारत की पूर्व की ओर देखों नीति के लिए एक महत्‍वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। 

राष्‍ट्रपति महोदय ने कहा कि हवाईअड्डे देश के प्रवेश द्वार के रूप में कार्य करते हैं। उन्‍होंने कहा कि किसी शहर की पहली छवि वहां स्थित हवाईअड्डे पर उपलब्‍ध संरचना और सुविधाओं की स्थिति पर निर्भर करती है। इसलिए यह महत्‍वपूर्ण है कि सभी संबंधित हितधारक मिलकर काम करें और भारत की बेहतर छवि को प्रस्‍तुत करें। (PIB)


मीणा/आनन्‍द/यशोदा –275

Saturday, January 19, 2013

स्वामी विवेकानंद जी की 150वीं वर्षगांठ के समारोह

18-जनवरी-2013 14:52 IST
राष्ट्रपति ने किया रामकृष्ण मठ और रामकृष्ण मिशन का उद्घाटन
भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने आज 18 जनवरी 2013 को कोलकाता में स्वामी विवेकानंद के जन्मस्थल पर स्वामीजी की 150वीं वर्षगांठ के समारोह के तहत रामकृष्ण मठ और रामकृष्ण मिशन का उद्घाटन किया। 

इस अवसर पर बोलते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि स्वामी विवेकानंद के संदेश और उनकी सीख उस समय, आज और जब तक मानव सभ्यता है, तब तक हर दौर में प्रासंगिक है। उन्होंने स्वामीजी को बंगाल का महान सपूत और महान दूरदर्शी बताया। उन्होंने कहा कि सुप्रसिद्ध इतिहासकार अल बशम ने विवेकानंद को एक ऐसी हस्ती के रुप में वर्णित किया था जो सदियों में एक बार पैदा होती हैं।

उन्होंने कहा कि यह बहुत विस्मयकारी है कि अपने छोटे से समय में उन्होंने ऐसे समाज को बदल दिया जो स्वंय में भरोसा खो चुका था। उन्होंने अपने दर्शन से सभी को झकझोर कर रख दिया और एक विचलित राष्ट्र के भरोसे को वापस लौटाया। उन्होंने कहा कि ऐसे समय में जब हमारे लोगों का आत्मबल काफी कमजोर था और बहुत से भारतीय आदर्शों के लिए पश्चिम की ओर देखते थे ऐसे में स्वामी विवेकानंद ने उनके भीतर स्वंय पर भरोसा और गर्व के भाव को जगाया।

राष्ट्रपति ने भारत के प्रथम प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्री जवाहरलाल नेहरु को उद्धरित करते हुए कहा – "भारत के इतिहास में जड और भारतीय गौरव पर पूरे गर्व को समाहित करते हुए जीवन की समस्याओं के प्रति विवेकानंद का दृष्टिकोण आधुनिक था, एक तरह से यह भारत के इतिहास और वर्तमान के बीच सेतु के रुप में था। " (PIB) 
 स्वामी विवेकानंद जी की 150वीं वर्षगांठ के समारोह
मीणा /विजयलक्ष्मी/ - 246

Friday, January 4, 2013

कोलकाता में भारतीय विज्ञान कांग्रेस

04-जनवरी-2013 16:33 IST
डॉ.ए.पी.जे. अब्‍दुल कलाम द्वारा बाल विज्ञान कांग्रेस का उद्घाटन
भारत के पूर्व राष्‍ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्‍दुल कलाम ने आज कोलकाता में बाल विज्ञान कांग्रेस का उद्घाटन किया। इस अवसर पर डॉ. कलाम ने कहा कि भारतीय विज्ञान कांग्रेस महान वैज्ञानिकों एस.एन. बोस, जे.सी. बोस, मेघनाथ साहा, सॅर सी.वी. रमण, श्रीनिवास रामानुजम, होमी भाभा और विक्रम साराभाई तथा अनेक भारतीय वैज्ञानिकों की उपलब्धियों पर आधारित है। उन्‍होंने विचार और कार्यों में श्रेष्‍ठता विषय पर विचार व्‍यक्‍त किए। डॉ. कलाम ने इस अवसर पर उपस्थित उभरते हुए युवा वैज्ञानिकों से कहा कि वे विज्ञान को जीवन में विचारों और कार्य की श्रेष्‍ठता के रूप में अपनाएं और उसके लिए अपनी सर्वाधिक क्षमता के साथ काम करें। उन्‍होंने कहा कि मैं दो महान आवश्‍यकताओं के महत्‍व पर ध्‍यान केन्द्रित करना चाहूंगा- विज्ञान का महत्‍व और वैज्ञानिक उदारता। उन्‍होंने ऊर्जा संरक्षण और वैज्ञानिक दृष्टिकोण के‍निर्माण के बारे में भी विचार व्‍यक्‍त किए। 

डॉ. कलाम ने कहा कि इतिहास ने सिद्ध कर दिया है कि जिन्‍होंने असंभव की परिकल्‍पना करने का साहस किया, वे ही सभी मानवीय सीमाओं को भंग कर पाए। मानव प्रयास के प्रत्‍येक क्षेत्र में, चाहे वह विज्ञान हो, औषधि हो, खेल हो, कला हो अथवा प्रौद्योगिकी, जिन्‍होंने असंभव की परिकल्‍पना की और उपलब्धियां प्राप्‍त की, वे ही लोग हमारे इतिहास का अंग बन गए हैं। अपनी परिकल्‍पना की सीमाओं को भंग कर ही वे विश्‍व में परिवर्तन ला पाये हैं।

पूर्व राष्‍ट्रपति ने सन् 2012 में आयोजित राज्‍य बाल विज्ञान कांग्रेस, बाराबंकी में आयोजित उत्‍तर प्रदेश राज्‍य विज्ञान कांग्रेस, कोयम्‍बत्‍तूर, तमिलनाडू में हुए दक्षिणी क्षेत्रीय विज्ञान कांग्रेस, दरभंगा (बिहार) में हुए मेगा विज्ञान मेले और वाराणसी में हुए राष्‍ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस में छात्रों के साथ भी विचारों का आदान-प्रदान किया। डॉक्‍टर कलाम ने गॉड पार्टिकल के अविष्‍कार के बारे में सरन प्रयोगशाला में दो दलों की हाल की घटना की भी चर्चा की। गॉड पार्टिकल महान वैज्ञानिक पीटर हिग्‍स के नाम पर हिग्‍स बोसन नामक प्राथमिक अणु के लिए प्रसिद्ध नाम है। उन्‍होंने कहा कि सन् 2011 में इस दिशा में कुछ प्रगति हुई है और संभव है कि अगले कुछ वर्षों में हम गॉड पार्टिकल के बारे में बेहतर तरीके से समझ पाएं। साथ ही, इस रहस्‍य का भी उद्घाटन कर पाएंगे कि कैसे पदार्थ विद्यमान है और कैसे यह ब्रह्मांड अस्तित्‍व में आया। डॉ0 कलाम ने विश्‍वास व्‍यक्‍त किया कि आप में से कुछ युवा, भावी वैज्ञानिकों के रूप में अपनी वैज्ञानिक खोज के लिए सैद्धान्तिक भौतिकी जैसे विषयों को अपनाएं और अणु भौतिकी के इस अद्वितीय क्षेत्र में अधिक खोज करने में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाएं।

केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी तथा भूमि विज्ञान मंत्री डॉ0 एस. जयपाल रेड्डी ने समारोह की अध्‍यक्षता की। 

इस अवसर पर डॉ0 कलाम से इन्‍फोसिस ट्रेवल पुरस्‍कार प्राप्‍तकर्ता कुछ युवा छात्र भी उपस्थित थे। इनमें मुख्‍य रूप से तुनीर डे, कपिल, फयाम शेख, रीमा कुमार, बबीता, कुसुमित गॉडकर, अनुराधा दासगुप्‍ता, एन्‍जेल दिवेश मिश्रा, बी. मधु और पुलकित गॉडरॉव शामिल हैं।(PIB)

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मीणा/क्‍वात्रा/यशोदा/तारा – 44